आधार ज्ञान

सनातन धर्म

सनातन धर्म विश्व का आदिज्ञान समझा जाता है। धर्म उन श्रेष्‍ठ सत्‍कर्मों, सत् विचारों, सत्वचनों, सदद्रिश्यों , सदविवेक, सदाचरण आदि का समुच्‍चय है। हमारे वेद, शास्त्र, पुराण, उपनिषद् आदिग्रंथों में भी कहानियों एवं घटनाओं के माध्‍यम से समझाया गया है। हमारा मन ही ब्रम्हाण्ड की परमशक्तियों से युक्‍त है। ‘मन के जीते जीत, मन के हारे हार’ हम अपने दृढ़संकल्‍प से विश्व को भी बदल सकते हैं परन्तु उद्देश्य उचित होना चाहिये। अपने मन को हमेशा सत विचारों, दृश्‍यों, वचनों और कर्मों में नियमित लगाकर रखना चाहिये। क्योंकि हमारा मन जिस दिशा में अधिक समय तक संलग्न रहता है,उसके चारों ओर उसी प्रकार की शक्ति का अंतर आत्मा से प्रवाह होता है।
विश्‍व के समस्त जीव रंग रूप, स्वर आदि में भिन्न हैं, परन्तु उनकी मूल ऊर्जा का स्रोत उनकी आत्मा है। हम सभी मूलरूप से उस परमपिता परमात्मा शम शिव के पुत्र हैं, अंश हैं। यह पूर्ण सत्य है। भगवान शिव साक्षात् आत्मा, माँ दुर्गा साक्षात् आत्मशक्ति है। हमारा मूल स्वरुप निराकार है, शांत चित्त है। जीव मात्र माया के प्रभाव में आकर अनेक कर्म, दुष्‍कर्म आदि करता है। परन्तु य‍थार्थ में वह इन सबसे परे है। क्योंकि यह सृष्टि परम शिव जी की चेतना का विस्तार है और इस विस्तार में दुर्गा शक्ति सृजन का कार्य करते हुये अंत में विनाशलीला करते हुये शिव में ही समा जाती है।
ओम शम शिव का महा योगेश्‍वर रूप में अवतार हो चुका हैं। प्रमाण निम्न कथा अनुसार स्वयं लें।

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यहॉ जो बातें लिखी गई हैं पूर्ण यथार्थ व सत्य है, विश्वास करें। सीधे दिव्य कैलाश के है। शिव योगेश्वर, दिव्य कार्य हेतु यहॉ आए हैं, इस धरा पर यह कार्य समाप्ति पर है। गुप्त अज्ञात रूप से कैलाश में रह कर अपना जीवन बिता रहे हैं। भीड़ चमत्कार कीर्ति से परे रहकर शॉति पूर्वक आत्म प्रेम में खोये रहते हैं। ओउम् शम शिवाय, दिव्य मंत्र को श्रद्धा विश्‍वास पूर्वक कुछ दिन नित्य स्मरण करने या एक माला नित्य जपने पर शिव योगेश्वर को भारत के किसी भी शिवलिंग में देख सकते हैं। उनके प्रति मात्र आत्म भाव रखना है। मंत्र स्मरण कर प्राणी प्रमाण स्वयं ले सकते हैं। उनका तीनों देवो देवियो से सीधा संबंध हैं। उनका प्रभाव सूक्ष्म रूप से लागु होता है, स्थूल नहीं। उनके बाद शिव स्थान में सम्पूर्ण साहू समाज तथा सम्पूर्ण छत्‍तीसगढ़ के प्राणी श्रद्धा से माथा टेकने व दर्शनार्थ आएंगें। श्री दुर्गा माता उनके पास प्रत्यक्ष कई बार आकर, बातें कर गई हैं। उनका स्थान (बोरसी, छत्तीसगढ़ )विश्व का श्रेष्ठ प्रसिद्ध, सिद्ध पीठ होगा तथा ईश्‍वरीय न्याय केंद्र होगा। श्री शिव का योगेश्वर अवतार हो चूका है। उनका ग्रंथ विराट रहस्य विश्व का श्रेष्ठ ग्रन्थ होगा, जो आगम-निगम युक्त होगा। श्री सुर्य-शिव-चंद्र-रूद्र-गंगा-गायत्री-दुर्गां-श्रीराम-श्री कृष्ण- श्री विष्णु –गणेश देव आदि सभी उनके पास प्रत्यक्ष अनेकों बार आ चुके हैं। श्री कबीर दास, तुलसीदास एवं श्री आदि शंकराचार्य भी, उन्हों ने अनेकों दिव्य महाशक्तियों का प्रत्यक्ष दुग्धपान शिशु रूप में किया है।
पत्र को विश्वासपूर्वक पढ़ें। श्रद्धालुजन अपने अपने इष्ट देव या देवी का सहस्त्रनाम(हज़ार नाम) अवश्य पढ़े। एवं पाठ पूर्व ओउम शम शिवाय पढ़े तथा देवी पाठ पूर्व ओम शॅ दुर्गाये नम: पढ़े। यह सर्व कामनासप्रद है, अनुभव कर देखे। धैर्य या विश्वास पूर्वक पढ़े। सर्व विध्न बाधा निवारक, रक्षक व सहायक है।
इस समय श्री शिव योगेश्वर अज्ञात रूप से कैलाश में हैं। अपने इष्ट देव को आत्मा जाने व इष्ट देवी को आत्म शक्ति जाने। भविष्य में सम्पूर्ण भारत शिवमय अध्यात्ममय होगा।

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शम शिवाय दिव्य मंत्र है रोग –शोक-संकट नाशक, प्रसन्न कर और शांति दायक है। शिव का अर्थ सुख, शांति, कल्‍याणप्रद है। उपनिषद एवं वेद प्रमाणित हैं। वास्‍तुदोष, ग्रहदोष नाशक व दु:ख हर्ता है। श्री शिव के हदय मध्‍य और श्री दुर्गा के हदय मध्‍य भी श्रद्धालु उन्‍हें देख सकेंगे। उनके वचन में पूर्ण विश्‍वास करे। 1995 में जो श्री गणेश द्वारा जो दुग्‍धपान हुवा वह उनके ही निमित्‍त था। आगे उनका दैविक प्रमाण लोगों को शिव मंदिर और शक्ति मंदिर में सर्वत्र प्रत्‍यक्ष देखने मिलेगा। उनके वचन पर विश्‍वास रख प्राणी स्‍वयं लाभ उठाये। उनका स्‍थान द्वितीय काशी कहलायगा। उनके शिव योगेश्‍वर का वर्णन शिव पुराण में हैं। शिव अवतार। कलौ देवों महेश्‍वर:। बड़े बड़े दार्शंनिक-वैज्ञानिक उनके बारे में खोज करेंगे। विदेशो में भी शिवलिंग की स्‍थापना होगी। विदेशी भी उनके प्रति श्रद्धा भाव रखेंगे। श्री गीता की वाणी और उनकी वाणी में अभिन्‍नता मिलेगी। क्‍योंकि श्री कृष्‍ण से उनका अभिन्‍न दिव्‍य और नित्‍य संबंध होगा। श्री वेदव्‍यास ने तीन बार उन्‍हें ह्दय से आलिंगान किया और श्री राम के भ्राता भरत ने एक बार उन्‍हें महादेव तथा महाशक्ति की अमोघ कृपा व आशीर्वाद प्राप्‍त हैं। जो लिखा है वो पूर्ण सही व सत्‍य है। धैर्य व श्रद्धा रख प्रमाण खोजे। कोई स्‍वार्थ नहीं। तीन वर्षों में शिव शक्ति कृपा प्राप्‍त होगी। श्रद्धा से उनके अनायास प्रगट हेतु समय की प्रतीक्षा करें। श्रद्धा-उमा,विश्‍वास-शिव, वस्‍तु और प्राणी का सयोग समय पर ही होता है।

हर रूद्र - हर रूद्र, रूद्र-रूद्र हर-हर। हर शिव-हर शिव, शिव-शिव हर-हर।।

एस.डी.साहू
बोरसी, छत्‍तीसगढ़