सर्व रक्षा मंत्र ( श्री दुर्गा+शिव ) कवच

श्री दुर्गा - शिव सर्व रोगघ्‌नाय - शोकघ्‌नाय भयघ्‌नाय नमः । श्री दुर्गा - शिव सर्व शत्रुघ्‌नाय - आर्तिघ्‌नाय कलुषघ्‌नाय नमः । श्री दुर्गा - शिव सर्वदोषघ्‌नाय ग्रहघ्‌नाय - वास्तुघ्‌नाय नमः । श्री दुर्गा - शिव सर्व दुष्टघ्‌नाय - शत्रुघ्‌नाय - विद्वेषघ्‌नाय नमः । श्री दुर्गा - शिव पर तंत्रघ्‌नाय - मंत्रघ्‌नाय - यंत्रघ्‌नाय नमः । श्री दुर्गा - शिव सर्व कृत्याघ्‌नाय - भूतघ्‌नाय - उत्पातघ्‌नाय नमः । श्री दुर्गा - शिव सर्व अनिष्टघ्‌नाय - विषघ्‌नाय अरिष्टघ्‌नाय नमः । श्री दुर्गा- शिव सर्व अभिचारघ्‌नाय - वाधाघ्‌नाय - मृत्युघ्‌नाय नमः । विस्मृघ्‌नाय दुष्विचारघ्‌नाय दुःस्वप्नघ्‌नाय श्री दुर्गा - शिवम् नमः । श्री दुर्गा - शिव अशांतघ्‌नाय अमंगलघ्‌नाय, शूलघ्‌नाय नमः । श्री दुर्गा-शिव ज्वरघ्‌नाय, त्रयतापघ्‌नाय, दारिद्रयघ्‌नाय नमः । इस अमोघ दुर्लभ यंत्र को 11 बार नित्य पढ़ें । गुग्गल का धूप देकर सफेद कागज में लिख ताबीज में धारण कर सकते हैं तथा जल मारकर पान कर सकते हैं । यह मंत्र स्वयं श्री दुर्गा + शिव स्वरूप है । प्रत्यक्ष । यह सर्व कष्ट निवारक है। अनुभव कर देखें । ताबीज तांबे या चांदी का हो।

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